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एम ए बेबी को पार्टी ने महासचिव बना बड़ा दाव चला, राजस्थान के सीकर सांसद अमराराम भी पोलित ब्यूरो में, बड़ी जिम्मेवारी

अभिषेक आचार्य

RNE Special.

यूपीए 2 के समय परमाणु करार पर केंद्र सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद हाशिये पर आ गई थी माकपा। अपने गढ़ पश्चिम बंगाल में भी वो पूरी तरह से कमजोर हो गई। केरल, पंजाब, बिहार, तमिलनाडु, त्रिपुरा आदि में भी माकपा पूरी तरह से सिमट गई। उनका अस्तित्व भी समाप्त होने की स्थिति में पहुंच गया। ये वो समय था जब पार्टी की कमान महासचिव के रूप में प्रकाश करात के पास थी।पार्टी का लोकसभा, राज्यसभा व कई विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व बुरी तरह से घट गया। ये वो दौर था जब प्रकाश करात महासचिव के रूप में पार्टी का नेतृत्त्व कर रहे थे। पार्टी ने नेतृत्त्व बदला और वापस कमान सीताराम येचुरी को दी। येचुरी ने गैर भाजपा दलों से गठबन्धन किया और पार्टी को खड़ा करना आरम्भ किया। पार्टी केवल केरल तक सिमट कर रह गई।पिछले लोकसभा चुनाव में येचुरी ने माकपा को इंडिया गठबन्धन का हिस्सा बनाया। उससे थोड़ी सफलता भी हासिल की। पार्टी एक बार फिर विपक्ष की मुख्य धारा में आने लगी थी मगर तभी दुखद घटना हुई। येचुरी की बीमारी के कारण मृत्यु हो गई। पार्टी नेतृत्त्व को लेकर एक बार सिर वैक्यूम आ गया। पार्टी में नेतृत्त्व को लेकर चिंतन शुरू हुआ। क्योंकि पार्टी को अपना खोया जनाधार फिर से पाने की चिंता थी, वहीं गैर भाजपा दलों से तालमेल भी बिठाना था। उसी के अनुरूप नेतृत्त्व पर मंथन शुरू हुआ।एम ए बेबी को मिला नेतृत्त्व:

माकपा ने अब अपनी कमान वामपंथ विचारधारा, संगठन और आंदोलन की तपिश में तपे अपने पुराने सिपाही एम ए बेबी के हाथ मे कमान दी है। वे पार्टी के नए महासचिव बने हैं।बेबी न केवल तपे हुए वामपंथी है अपितु वे एक लेखक भी है। केरल से आते हैं। उनका राजनीतिक सफर केरल स्टूडेंट्स फेडरेशन से हुआ, जो बाद में एसएफआई बना। वे डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन के भी अखिल भारतीय अध्यक्ष बने। राज्यसभा सांसद, विधायक और केरल के शिक्षा मंत्री भी बने। बेबी ने शिक्षा नीति, युवाओं के आंदोलन पर किताबे लिखी है। साहित्य के साथ संगीत व सिनेमा में भी गहरी रुचि है।राजस्थान को भी मान:

इस बार माकपा की पोलित ब्यूरो में राजस्थान को भी तवज्जो मिली है। चार बार के विधायक व किसान नेता अमराराम चौधरी जो वर्तमान में सीकर के सांसद हैं, उनको पार्टी ने निर्णय करने वाली सर्वोच्च बॉडी पोलित ब्यूरो का सदस्य बनाया है।बेबी की चुनोती:

माकपा के नए महासचिव बेबी के सामने पार्टी के लिए नई ऊर्जा व नई जमीन तलाशने का काम है। बंगाल में उसका स्थान जो पहले टीएमसी ने और बाद में भाजपा ने लिया, वो स्थान वापस हासिल करना है। त्रिपुरा में खोया वजूद पाना है। गैर भाजपा दलों से तालमेल बिठाने का काम भी है और केरल की सत्ता बचाने का भी है।